चर्चा में पत्रकारों का खनन कनेक्शन, मिट्टी खनन से जुड़े है तार
1 min readपूरनपुर-पीलीभीत। आजकल मीडिया कर्मी सामाजिक हितों के लिए नहीं, खनन माफियाओं के लिए काम कर रहे हैं। देखा जाये तो यह हालात पूरे जनपद में एक जैसे नजर आ रहे हैं। हाल ही में बिलसण्डा-बीसलपुर से पूरनपुर के घुंघचिहाई में मिट्टी खनन की कवरेज को आए मीडिया कर्मियों ने इस बात को जग जाहिर किया हैं। कवरेज के दौरान हुई मारपीट के बाद पुलिस ने मामले को संभाला और एनसीआर दर्ज की। मारपीट खनन माफियाओं से ना होकर पत्रकारों में हुई और एक वीडियो भी वायरल हुआ। इसके साथ ही पत्रकारों का खनन से क्या कनेक्शन है इस बात की चर्चा हर तरफ हो रही हैं।
मिट्टी खनन में रोक लगाने के साथ ही सरकार ने किसानों को राहत देते हुए दस-पांच ट्राली मिट्टी निकालने की प्रक्रिया आसान कर दी और खेत खलियान को समतल करने के लिए किसानों को छूट दी गई हैं कि कृषक खेती किसानी छोड़कर तहसील-थाने के चक्कर न लगाये। इस छूट का लाभ किसान तो उठा ही रहे हैं साथ ही खनन माफियाओं को भी संजीवनी मिल गयी है। किसानों का जामा पहने खनन माफिया पुलिस से तो बनाकर रखते ही है इसके साथ ही पत्रकारों से अच्छे कनेक्शन स्थापित कर चुके हैं। यही कारण रहा कि घुंघचिहाई में कवरेज के दौरान मीडिया कर्मीयों को रोकने के लिए पत्रकारों को भेजा गया था और फिर बात मारपीट तक पहुंच गई। बात यहीं पर समाप्त नहीं होती हैं, बताया जाता हैं कि मिट्टी खनन कराने में जिले के नामचीन मीडिया कर्मी भी शामिल रहते हैं और यह बात अधिकारी भलीभांति जानते हैं।
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पोर्टल मीडियाः मतलब खाने-कमाने का जरिया
पोर्टल चैनल में काम करने वाले पहले स्वयं शोषण का शिकार होते हैं और फिर समाज को शोषित करने के लिए दौड़ पड़ते हैं। हालात यह हैं कि खेती किसानी कर रहे लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है और सौ- दौ पांच रूपये लेकर पत्रकारिता को कलंकित कर रहे हैं। यह लोग मजदूरों को भी नहीं छोड़ते। सोशल मीडिया पर कुछ भी परोसे से बाज नहीं आते हैं। इस आपाधापी में नियम कानून की तो धज्जियां उड़ाई ही जाती हैं साथ ही आर्थिक शोषण किया जाता हैं। देश के कुछ प्रमुख टीवी चैनल से मिलते-जुलते नाम वाले हजारों पोर्टल चैनल मोबाईल के साथ घर घर पहुंच चुके हैं। इस गोरख धंधे में युवाओं को पत्रकार बनाने के नाम पर ठगा जा रहा हैं।