Namastey Pilibhit

Breaking News in Hindi

नव निर्वाचित पंचायत अध्यक्ष को शपथ के लिए करना होगा और इंतजार

1 min read

ग्राम पंचायतों में समितियों के गठन को नहीं आया कोई आदेश
पंचायतों में आज भी कार्यरत हैं प्रशासक अधिकारी, नव निर्वाचित प्रधान मायूस
पूरनपुर-पीलीभीत। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नतीजे आये करीब एक पखवाड़े से अधिक का समय हो रहा है और पंचायतों में समितियां गठन के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं आये है। ग्राम पंचायतों में आज भी प्रशासक बने अधिकारी ही काम-काज संभाल रहे हैं।

पूरनपुर विकास खण्ड की 189 ग्राम पंचायतों में चुनाव के बाद प्रधान पद के उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी हैं और विजय हासिल करने वाले नव निर्वाचित पंचायत अध्यक्ष को प्रमाण पत्र भी दिये गए है। लेकिन पंचायतों में कार्यभार की बात करें तो अधिकारी ही संभाल रहे है। चुनाव से पूर्व पंचायत अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया था, अब चुनाव संम्पन्न हो गए है। लेकिन ग्राम पंचायतों में शपथ समारोह से संबंधित कोई कार्यक्रम न आने से जीत हासिल कर चुके नव निर्वाचित पंचायत अध्यक्षों को भारी निराशा हो रही हैं। पंचायत चुनाव में एकाध को छोड़कर नए चेहरों को जनाधार मिला है और उन्हें गांव की सरकार चलाने की जिम्मेदारी मिली है। शपथ समारोह कार्यक्रम के लिए होने वाली देरी से पंचायत अध्यक्ष मायूस हैं। इस बार पूरनपुर विकास खण्ड क्षेत्र में महिला सरपंच की संख्या भी अच्छी भली हैं। 189 ग्राम पंचायतों में से 68 पंचायत में महिला प्रधान निर्वाचित हुईं हैं। शिक्षा का ग्राफ भी बेहतर हैं और निरक्षरों की संख्या ना के बरामद हैं। नए लोगों को विकास कार्यों की जिम्मेदारी दी गई और शपथ कार्यक्रम आने के बाद ही पंचायत समितियों का गठन होगा और नए पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल शुरू होगा।

पंचायत समितियां और कार्य
ग्राम पंचायत में विकास कार्य और कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए सात समितियां गठित की जाती है, नामित अधिकारी इन समितियों के गठन पर पंचायत अध्यक्ष की उपस्थिति में मोहर लगाता है। पंचायत समिति में महिला सदस्य व पिछड़े वर्ग के ग्राम पंचायत सदस्य को शामिल करना अनिवार्य होता है और पूरे पांच वर्ष सक्रिय रूप से काम करती हैं। पंचायत बार सात समितियां कार्य करती हैं।

समितियां के अध्यक्ष व सचिव
”नियोजन एवं विकास समिति“ का अध्यक्ष स्वयं ग्राम प्रधान होता है और एससी/एसटी/ओबीसी/ समेत एक महिला सदस्य को मिलाकर छह सदस्य होने चाहिए। यह समिति पशु पालन, कृषि व गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य करती हैं। ”शिक्षा समिति“ का अध्यक्ष कोई भी शिक्षित ग्राम पंचायत सदस्य हो सकता है, पर सचिव सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक ही होगा और इसमें भी छह सदस्यों की जरूरत होती है। काम-काज की बात करें तो परिषदीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, एमडीएम व स्वच्छता व्यवस्था के साथ सरकारी योजनाएं शामिल हैं। “निर्माण कार्य समिति“ का अध्यक्ष कोई भी सदस्य हो सकता है और पांच से छह अन्य सदस्य भी निगरानी के लिए समिति में सक्रिय रूप से शामिल होंगे। समिति के कार्यों में आवास, जलापूर्ति, विद्युतीकरण, नाली, खण्डन्जा निर्माण आदि शामिल हैं। ”प्रशासनिक समिति“ ग्राम पंचायत में प्रमुख मानी जाती हैं और इसका अध्यक्ष ग्राम प्रधान होता है। पंचायत के सभी वर्गों से सदस्य इस समिति में शामिल किये जाते है, इस समिति को गांव में प्रशासनिक कार्य, कानून व्यवस्था के अलावा राशन कोटे की निगरानी के लिए अहम मना जाता हैं। ”स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति“ में नामित सदस्य अध्यक्ष और आशा या फिर एएनएम सचिव होती है, छह सदस्यों में से महिला को अधिक महात्व दिया जाता है। यह समिति गांव में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण व महिला एवं बाल विकास से जुड़ी योजनाओं संचान करती हैं। ”जल प्रबंधन समिति“ में किसी भी सदस्य को अध्यक्ष पद के लिए नामित किया जा सकता है, इस समिति को गांव- मजरों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के लिए गठन किया जाता हैं। ”सामाजिक न्याय समिति“ का अध्यक्ष पंचायत से चुना गया कोई भी सदस्य हो सकता है और वह सामाजिक सौहार्द के लिए कार्य करता है। गांव वालों के लिए शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए इस समिति का गठन होता हैं। नियमानुसार हर माह इन समितियों की बैठक होनी चाहिए और कोरम पूरा होने की स्थिति में ही कार्य योजना आदि तैयार की जाती हैं।

ग्राम पंचायतों में शपथ को लेकर अभी तक कोई दिशा निर्देश नहीं है। उम्मीद की जा रही हैं कि 15 जून तक कोई कार्यक्रम शासन स्तर से आ जाए। आदेश मिलते ही सभी पंचायतों में समितियों का गठन करा दिया जाएगा।  

सुनील कुमार जायसवाल, बीडीओ।
—————————

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

disawar satta king