अभिलेखों में चल रहा वन निगम का डिपो, अधिकारी-कर्मचारी सब गायब
1 min readसंविदा कर्मचारी के भरोसे है वन निगम का डिपो, जिले में नहीं है कोई वरिष्ठ अधिकारी
पूरनपुर-पीलीभीत। वन निगम डिपो पर अधिकारी व कर्मचारी अनुपस्थित रहते है और डिपो एक संविदा कर्मचारी के सहारे चल रहा हैं। बड़ी बात यह है कि जिले पर कोई वरिष्ठ अधिकारी न होने से डिपो अधिकारी व कर्मचारी पूरी तरह लापरवाह बने हुए है। लखीमपुर में बैठे अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है।
पूरनपुर के खमरिया पट्टी में स्थित वन निगम डिपो पर अधिकारी व कर्मचारी नजर नहीं आते है। बताया जाता हैं कि डिपो कार्यालय संविदा कर्मचारी के हवाले हैं और शेष कर्मचारी अनुपस्थित रहते हैं। खमरिया पट्टी में बने वन निगम के कार्यालय पर डिपो अधिकारी रामबहादुर लाल, स्केलर बद्दल राम व लईक अहमद के साथ दो चौकीदार तेजपाल व अनुराधा सक्सेना की तैनाती है। इसके साथ ही एक संविदा कर्मचारी सुरेश कुमार दीक्षित तैनात है। इनका कार्य वन विभाग से आने वाली लकड़ी की नपाई कर उसे बिक्री के लिए तैयार करना होता है। कर्मचारियों की अनुपस्थिति से लगता हैं मानो संबंधित विभाग समाप्त कर दिया हो। इसमें बड़ी बात यह है कि वन निगम का पूरनपुर डिपो जनपद खीरी से कंट्रोल होता हैं और यही कारण हैं कि कर्मचारी ही नहीं अधिकारी भी इसका फायदा उठा रहे हैं। जनपद पीलीभीत स्तर पर भी वरिष्ठ अधिकारी नहीं हैं जो विभाग में चल रहे गड़बड़झाले को देख सकें। जिले पर वन डिपो का अधिकारी न होने से डिपो भूत बंगला में तब्दील होता दिखायी दे रहा हैं। संबंधित कर्मचारी घर बैठे बिठाये वेतन पा रहे हैं और विभाग अभिलेखों में चल रहा है।
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रंग-मरम्मत राशि का होता हैं गबन
वन निगम डिपो की व्यवस्था में खर्च होने वाली धनराशि का मिलीभगत के चलते गबन किया जाता हैं और डिपो में बने करीब एक किमी रोड समेत रंग-रोगन की मरम्मत के नामपर लाखों रूपये भ्रष्टाचार की बलि चढ़ते हैं। बताया जाता हैं कि विभागीय दफ्तर की मरम्मत न कराके सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा है। इसके चलते वन डिपो भूतिया बंगला से कम नहीं लगता है। डीएसएम राजेश सिंह राठौर खीरी में बैठते हैं और डिपो की हालत देखने के लिए फुर्सत नहीं है। इसके चलते डिपो अधिकारी व कर्मचारी मनमुताबिक कार्य ही करते हैं।